मंगल ग्रह पर जीवन एक अनसुलझी पहेली Life on Mars an ‘unsolved puzzle’
अध्ययन को किस दिशा में मोड़ा जाये की यह बात पूरी तरह से साबित हो सके कि मंगल ग्रह (Mars planet) पर कभी जीवन था या फिर वर्तमान में ग्रह की भीतरी सतह पर किसी न किसी रूप में जीवन के अंश मौजूद हों, अभी भी यह एक अनसुलझी पहेली है क्यूंकि वैज्ञानिकों द्वारा किये गए अध्ययनों से अब यह बात पता चल चुकी है कि मंगल ग्रह में पानी है। परन्तु यह पानी तरल के स्थान पर बर्फ के रूप में ज़मीन के भीतर है। इस बर्फ को हम पर्माफ्रॉस्ट (Permafrost) कहते हैं। इसका मतलब यह होता है कि पानी सेडीमेंट के साथ मिलकर लम्बे समय से बर्फ की स्थिति है।
इसी खोज के चलते मंगल ग्रह पिछले कई दशकों से वैज्ञानिकों के लिए चुनौती से भरा और रोचक विषय बन चुका है। सच्चाई यही है कि किसी भी धरती पर अगर पानी है तो जीवन की परिकल्पना भी लाज़मी है, परन्तु मंगल ग्रह पर अभी तक ऐसे कोई ठोस सबूत नहीं मिल पाए है की यह कहा जा सके कि वहां किसी समय जीवन था या अभी भी है। वर्षों से चल रहे अध्ययन ने यह तो साबित कर दिया है की वहां कभी नदियां बहती होंगी क्योंकि मंगल ग्रह की कक्षा में भेजे गए उपग्रहों से प्राप्त चित्रों में वहां की धरती पर ऐसी सतही संरचनाये दिखती है जो नदियों के बहने से बनती हैं। अध्ययन बताते हैं की यह संरचनाएं नदियों के सूखने से बनी हैं और यह आज से 3.5 अरब वर्ष पुरानी हैं। इसलिए यह कहना कि वहां जीवन की उपस्थिति नहीं होगी, गलत होगा। यह बात तो साबित होती है कि पहले के 500 मिलियन वर्ष के दौरान मंगल की सतह पर जीवन के अनुकूल वातावरण जरूर रहा होगा। इसी विषय पर और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए पिछले कुछ दशकों में अनेक मिशन मंगल ग्रह की सतह पर उतारे जा चुके हैं। शुरुआती वर्षों में यानी 1975 से 2008 के बीच मंगल पर भेजे गए मिशन में वाइकिंग और फ़ीनिक्स लैंडर्स (Vikings and Phoenix Landers) का नाम आता है। इसके बाद क्यूरोसिटी रोवर (Curiosity Rover) जिसे 2011 में भेजा गया और पर्सीवरेंस (Perseverance ) जिसे 2020 में भेजा गया। इनके द्वारा मंगल ग्रह की सतह पर पत्थरो और मिटटी के नमूनों की जांच में कार्बनिक पदार्थ मिले हैं । मंगल ग्रह की सतह पर कार्बनिक पदार्थ की खोज ने वहा पर प्राचीन काल में जीवन के होने की सम्भावना को बल दिया हैं ।
बीरबल साहनी पुरावनस्पति विज्ञान संस्थान, लखनऊ (Birbal Sahni Institute of Palaeosciences, Lucknow ‘BSIP’ ) के वैज्ञानिक डॉक्टर आरिफ़ हुसैन अंसारी (Dr Arif H Ansari) ने इस रोचक विषय पर ताज़ा रोशनी डाली है। उन्होंने इस विषय पर अपनी समीक्षा (Review) देते हुए कुछ प्रस्ताव रखे हैं कि मंगल ग्रह से जुड़े अध्ययन को क्या दिशा दी जाये जिससे इस ग्रह पर जीवन की खोज को गति मिल सके। उन्होंने बताया कि जब वैज्ञानिक किसी भी ग्रह पर जीवन की खोज के लिए निकलते हैं तब हमेशा दो लक्ष्य होते हैं, पहला वहां पर पानी है कि नहीं और अगर पानी है तो कार्बनिक पदार्थ (Organic Matter) की तलाश की जाती है, क्यूंकि कार्बनिक पदार्थ ही जीवन के होने या न होने को दर्शाते हैं। अब प्रश्न यह उठता है कि कार्बनिक पदार्थ का पाया जाना क्या सही मायने में जीवन की उपस्थिति को इंगित करता है? यह बात कुछ हद तक ही सही है। परन्तु अध्ययन की मानें तो पूरी तरह से ऐसा नहीं है।
डॉक्टर अंसारी ने जानकारी दी कि जटिल कार्बनिक पदार्थ (Complex Organic Matter) जैसे एमिनो एसिड (Amino Acid) पोलिसॅक्रिड (Polysaccharide) और फोस्फोलिपिड् (Phospholipid) जैविक ढांचे को बनाने में अहम् भूमिका निभाते हैं और मुख्य रूप से जैविक प्रक्रियाओं द्वारा ही बनते हैं। मगर कुछ हल्के कार्बनिक पदार्थ (Organic Matter) और कुछ मात्रा में जटिल कार्बनिक पदार्थ अजैविक प्रक्रियाओं द्वारा भी बनते हैं। ऐसी स्थिति में यह तय करना मुश्किल हो जाता है की मंगल ग्रह पर खोजे गए कार्बनिक पदार्थ जैविक प्रक्रिया से बने या अजैविक प्रक्रिया से बने। कार्बनिक पदार्थ पूरे ब्रह्माण्ड में मिलते हैं, और यह कॉस्मिक डस्ट और उल्का पिंडो के माध्यम से विभिन ग्रहो की सतह पर पहुंचते रहते है। इसके अलावा ग्रहो के भीतर उच्च तापमान पर होने वाली भूरसायनिक प्रक्रियाओं में कार्बन डाई ऑक्साइड और हाइड्रोजन मिलकर भी कार्बनिक पदार्थ का निर्माण करते हैं। इसलिए मंगल ग्रह के नमूनों की जांच में मिले कार्बनिक पदार्थ इनमे से किन प्रक्रियाओं द्वारा बने यह समझाना बहुत आवश्यक हो जाता है जो अभी भी वैज्ञानिको के लिए एक बड़ी चुनौती है। मंगल ग्रह पर विभिन्न मिशनों द्वारा की गयी जांचो से एक और बात सामने आई है कि मंगल ग्रह पर खोजे गए कार्बनिक पदार्थों का एक और भी स्रोत हो सकता है। जोकि मंगल ग्रह पर भेजे गए मिशन के उपकरण में रखे कार्बनिक साल्वेंट (विलायक) के अंश हो सकते है जिनका उपयोग मंगल के नमूनों की गैस क्रोमैटोग्राफी पद्धति द्वारा जांच में हुआ। 2020 में भेजे गए Perseverance ने मंगल ग्रह पर कार्बनिक पदार्थों की जांच के लिए डीप अल्ट्रावायलेट स्पेक्ट्रोस्कोपी (Deep Ultraviolet Spectroscopy) का भी इस्तेमाल किया हैं जिसमे उपकरणों से संबंधित कार्बनिक पदार्थों के ऐसे स्रोत की संभावना नगण्य है, और पाया की मंगल ग्रह के नमूनों में कुछ कार्बनिक पदार्थ जैसे बेंजीन (Benzene ), नेफ्थेलीन (Naphthalene) आदि उपस्थित है। इन अध्ययनों से मंगल ग्रह पर कुछ जटिल कार्बनिक पदार्थों की उपस्थिति की पुष्टि होती है। मंगल ग्रह पर उपस्थित इन कार्बनिक पदार्थों के स्रोत को और अच्छी तरह से समझने के लिए शीघ्र ही मंगल ग्रह पर एक और मिशन भेजा जाने वाला है जिसे एक्सो मार्स (Exomars) मिशन नाम दिया गया है इसके जरिये ऐसा उपकरण भेजा जा रहा है जो वहां की धरती में 2 मीटर गहराई तक खुदाई (Drilling) करके नमूने एकत्र करेगा और इसकी जांच करेगा।
डॉ अंसारी का मानना है कि जांच की कुछ ऐसी पद्धति विकसित की जानी चाहिए जो लक्षित हो और सही परिणाम दे सके। क्योंकि मंगल पर भेजे गए मिशनों का कार्यकाल और मंगल की धरती के नमूनों की जांच छमता बहुत सीमित होती है इसके लिए सबसे पहले मंगल ग्रह पर उन नमूनों की पहचान करना जरूरी है जिसमे कार्बनिक पदार्थ लम्बे समय तक संरक्षित रहते हो और ऐसे नमूनों में किस तरह के कार्बनिक पदार्थों के मिलने की संभावनाएं हैं, इस बात का पहले से अंदाजा हो, बहुत जरूरी है। जैसे की मंगल के जलतापीय छेत्र (hydrothermal region )जहा सिलिका के बड़े डिपॉजिट्स मिलते हैं, जीवन से जुड़े कार्बनिक पदार्थो की खोज के लिए एक अच्छा लक्ष्य माना गया है। क्योकि इस विषय पर अभी बहुत कम अध्ययन हुआ है। डॉक्टर अंसारी का मानना है कि पृथ्वी पर स्थित मंगल ग्रह के तुलनीय (similar और comparable ) ठन्डे रेगिस्तानी इलाकों और उनमें मिलने वाले जलतापीय डिपॉजिट्स (hydrothermal deposits ) में विभिन्न प्रकार के मिनरल, मिट्टी, सेडीमेंट, और पत्थर इत्यादि के नमूनों में कार्बनिक पदार्थों की जांच और उनके जैविक और अजैविक स्रोतों का ज्ञान, ऐसी पद्धति को विकसित करने में कारगर साबित हो सकते हैं । इस तरह के अध्ययन से अर्जित ज्ञान आने वाले समय में मंगल और ऐसे ही अन्य ग्रहों, उपग्रहों, तथा उल्का पिंडो पर जीवन की संभावनाओं को तलाशने के लिए रणनीति और उपकरण विकसित करने में अत्यंत महत्वपूर्ण होंगे।
by,
p.d.saxena
credit:
frontiers| Frontiers in Astronomy and Space Sciences
TYPE Review PUBLISHED 10 February 2023 001 10.3389/fspas 2023.1075052
Detection of organic matter on Mars, results from various Mars missions, challenges, and future strategy: A review
Arif H. Ansari
Birbal Sahni Institute of Palaeosciences Lucknow, India